गजल१५४, भगवान उनिलाई..

भगवान उनीलाई शहर दिनु है।।
मेरो मन जलाउने जहर दिनु है।।

रमझम रमाईलो उनको विशेष।।
उनीलाई सधैँ भरि रहर दिनु है।।

संगीतमा मेरो मुटु सितार बनाई।।
गजल मा म गाउँछु बहर दिनु है।।

धनमोह उनीसंग अकुत भएको।।
रिसराग मिल्काउन नहर दिनु है।।

अन्धकार बनेकोछ मेरो जीवन।।
उनीलाई प्रकाशको लहर दिनु है।।

प्रकाशमणि खनाल
गोल्धाप-४,झापा.

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